क़िस्मत का लिखा मिटाने चले हो
क्यों अपना दिल जलाने चले हो
रातों को जागकर कोई बिछड़ा मिलता नहीं
क्यों दिल को ऐसे झूठ से बहलाने चले हो
हुस्न के गली से बचकर निकल जा
क्यों अपना सब कुछ लुटाने चले हो
जिस्म की भूख बड़ी कुत्ती चीज़ हैं
क्यों इसके पीछे अपना सब कुछ मिटाने चले हो
सच्चा प्यार तो माँ बाप के कदमों में हैं
क्यों हुस्न के जाल में खुद को फ़साने चले हो
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