Wednesday, 2 March 2016

चेहरा तेरा हलवा जैसा बदन तेरा पापलेट मच्छि

चेहरा तेरा हलवा जैसा 
बदन तेरा पापलेट मच्छि 
चाल तेरी हिरणी सी
नज़र तेरी बंदूक़ की गोली
गुलाब जैसे गाल तेरे
होंठ जैसे मयखाना
महेक तेरी कस्तूरी मृग
तु कल कल नदियों की धारा
वो तेरा मटकना
वो तेरा कमर बलखना 
याद आता हैं वो तेरा 
हँसकर हमें धत्त बुलाना 
जब से तुझको देखा हैं
न जाने कैसे हम जीते हैं 
साँसें भी हैं ये रुकी हुई
फिर न जाने कैसे हम जीते हैं 

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