चेहरा तेरा हलवा जैसा
बदन तेरा पापलेट मच्छि
चाल तेरी हिरणी सी
नज़र तेरी बंदूक़ की गोली
गुलाब जैसे गाल तेरे
होंठ जैसे मयखाना
महेक तेरी कस्तूरी मृग
तु कल कल नदियों की धारा
वो तेरा मटकना
वो तेरा कमर बलखना
याद आता हैं वो तेरा
हँसकर हमें धत्त बुलाना
जब से तुझको देखा हैं
न जाने कैसे हम जीते हैं
साँसें भी हैं ये रुकी हुई
फिर न जाने कैसे हम जीते हैं
No comments:
Post a Comment