ना कोई संगी साथी हैं ,
ना कोई अपना जीवन साथी ,
झुठों की बाज़ार हैं दुनिया ,
और हम उसके बाराती....!
जो सारे अरमान थे बुझ गए ,
सूरज मेरा डूब गया रात भी हैं घबराई .
मौसम हैं कुछ डरा डरा हवा भी कुछ बहेकी ,
तेरा नाम सुनते हीं आँख मेरी भर गई...!
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