Saturday 7 May 2022

जहां जहां रखता हुँ कदम माँ तु वहीं हैं


एक तेरे बिन कौन यहाँ पूरा हैं 

माँ तेरे बिन सब अधूरा हैं 

सुनी धरती सुना आसमाँ 

सुना ये घर संसार हमारा हैं 


चेहरे पर मुस्कान और पीछे आँसू छुपाना तेरा 

खुद भूखे रहकर मुझे खिलाना तेरा 

चोट लगने पर वो मरहम लगाना तेरा 

मस्ती करने पर वो मारना तेरा 


याद आती हैं तेरी हर बाते 

कहाँ गुजरती हैं बिन तेरे रातें 

माँ तुझसा कोई नहीं 

कोई तो ये रब को बता दे 


अब नहीं होती सुबह वैसी 

न होती रात वैसी 

न होता हैं चूल्हा वैसा 

न होती हैं रसोई में महक वैसी 


कौन जागता अब मुझको 

थक कर यूँही सो जाता हुँ 

दर्द से कराहता हैं बदन मेरा 

पर न जाने क्यों सुबह ठीक हो जाता हुँ 

 

माँ तु सच मुच जादूगर हैं 

तु नहीं हैं फिर भी यहीं कहीं हैं 

यादों में बाते में दर्द में धूप में 

जहां जहां रखता हुँ कदम माँ तु वहीं हैं

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