Monday 2 May 2022

छूट गया हैं जो पल पीछे उसे बुलाऊँ कैसे ! रात बड़ी तनहा हैं उसे भुलाऊँ कैसे !!

 छूट गया हैं जो पल पीछे उसे बुलाऊँ कैसे !

रात बड़ी तनहा हैं उसे भुलाऊँ कैसे !! 


भटक रहा हैं जो इर्द-गिर्द , उसे सम्भालूँ कैसे !

राह बड़ी अंज़ान , मैं खुद को राह दिखाऊँ कैसे !! 


ज़ख़्म देने वाले को  मैं गले लगाऊँ कैसे !

यादों का मंजर हैं सामने खड़ा , मैं उसे भगाऊँ कैसे 


जल रहा जो आग दिल में  मैं खुद को उसमें जलाऊ कैसे !

दूसरों के ख़ातिर , मैं खुद को सताऊँ कैसे !!



No comments:

Post a Comment