बादलों में जैसे जैसे काली घटा छाने लगी , वैसे वैसे वो और करीब आने लगी ! करीब आकर वो हमे यूँ तरसाने लगी , जैसे बुँदे तन को और जलाने लगी ! वो बारिश में भीगकर यूँ इठलाने लगी , हम सब भूलकर उनमें समाने लगे !
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