Sunday, 1 May 2016

तेरी हर अकड़ ने हमें लड़ना सिखाया हैं , तेरे गलियों ने हमें सच्चा राह दिखाया हैं ! हम तो तुझे समझते हैं अमृत की रसधारा , बस तूने ही अपने आपको जहेर बनाया हैं !

तेरी हर अकड़ ने हमें लड़ना सिखाया हैं ,
तेरे गलियों ने हमें सच्चा राह दिखाया हैं !
हम तो तुझे समझते हैं अमृत की रसधारा ,
बस तूने ही अपने आपको जहेर बनाया हैं !

मुझे अक्सर तेरे चेहरे के पीछे ,
एक अच्छा इंसान नज़र आया है !
हम तुझे समझते हैं दोस्त ,
बस तूने ही अपने आपको दुश्मन बनाया हैं !

हर राहों में तेरे हम बिखरते हैं बन कर फूल ,
तेरे होंठों पर लाली बनकर खिलते हैं !
हम तो तुझे समझते हैं फूल ,
बस तूने ही अपने आप को काँटा बनाया हैं !

बेशक तुम हमसे ना करो शिकायत ,
या चाहे तुम ना करो बात !
हमें तो तुमसे करते प्यार ,
बस तूने ही अपने आप को नफ़रतों में फँसाया हैं !

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