तुम सर्द की ठंड मौसम
मैं गर्मि की तपती धूप
तुम हरियाली मौसम की
मैं पतझड़ का मौसम
तुम ख़ुशियाँ फुहारों की
मैं साथी दुखियारो की
तुम घटा सावन की
मैं ख़ाक गलियारो की
तुम बहेती नदी
मैं ठहेरा पानी
तुम साधना प्रेम की
मैं निशानी पाप की
मैं बोझ इस धरती का
मेरा तेरा कोई मेल नहीं
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