मुद्दतों बाद जिसपर दिल आया
मैं उसी को रुसवा कर आया
लगाकर इश्क़ का रोग
मैं ख़ुद को कहीं दूर छोड़ आया
बसा कर उसे दिल में
मैं ख़ुद को उसमे तड़पता छोड़ आया
कुछ मजबूरियाँ थी हालातों की
कुछ उसने भी था ज़ुल्म ढाया
डुबोकर ख़ुद को आँसुओं में
मैं अपनी मोहब्बत उसिमे छोड़ आया
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