हँसी ख़ुशी से जीने दो यारों , यूँ तो ग़म बहोत हैं जीने में !
हँस लेते हैं चंद पल तुम्हारी बातों में , यूँ तो दर्द बहोत हैं सिने में !!
हँसी मज़ाख की बातों से आवारा न समझो यारों !
नेक दिल इंसान हुँ , महक उठता हैं मेरा भी घर पसीने में !!
अकेला राहीं हुँ अपनी मंज़िल का , क्या हुवा जो कोई साथ नहीं !
और क्या कहूँ साथ मेरे बस , दो वक्त की रोटी और आँसू हैं पीने में !
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