न जाने क्यों अब तेरा ,
हर घड़ी इंतज़ार रहता हैं !
जानता हूँ तु पराई अमानत हैं ,
फिर भी ये दिल तेरे लिए बेक़रार रहता हैं !
ढूँढता हूँ जिस चाहत को ,
न जाने क्यों दिल वो तु ही हैं ये कहता हैं
खो न जाए इस दुनिया में फिर कहीं
बस यहीं मलाल रहता हैं
प्यार करना जुर्म हैं पराई अमानत से
इस लिए ये दिल ख़ामोश रहता हैं
पता हैं सारे बंधन , फिर भी न जाने क्यों
हर पल मेरे लबों पर इकरार रहता हैं
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