Thursday, 13 January 2022

इन आँसुओ में तुझसे रोज़ बात होती हैं

तुझसे बात नहीं होती क्या 


इन आँसुओ में तुझसे रोज़ बात होती हैं 


रकख़ा हैं सम्भालकर तेरी यादों को 

अब तो वहीं पर तेरी और मेरी मुलाक़ात होती हैं 


दिल को सम्भाल लेता हूँ 

जब जब तेरी सूरत आभास होती हैं 


वैसे तो सारे लोग हैं साथ  

पर एक तेरी कमी मुझे दिन रात होती हैं 


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