बड़ी सभ्यता देखी तुझमें ,
गालियों में ही बात करती हो !
अपने ही भाई यार दोस्तों को ,
तुम सदा बदनाम करती हो !
ज़ुबा तेरी माशा अल्लाह ,
मिर्ची सी लगती हैं !
शरारत में तु तो ,
सबकी नानी लगती हो !
थोड़ा सा प्यार जताकर ,
फिर दिल तोड़ देती हो !
बातों ही बातों में ,
सब कुछ लूट लेती हो !
दिखाकर किसी को राह ,
फिर भटका देती हो !
बुलाकर पास बड़े प्यार से ,
फिर ठोकर मारती हो !
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