रात ढलने वाली हैं ,
ये चाँद छुपने वाले हैं !
दिल में छुपी हैं तू ,
तो नींद कैसे आने वाली हैं !
ये रात बहेकने वालीं हैं ,
ये फ़िज़ा खिलने वाली हैं !
बीत न जाए ये रात ,
तु कब आने वालीं हैं !
ये मौसम तुम्हें बुला रहें ,
ये तारे टिम टिमा रहें !
ये चमक चमक कर सनम ,
बस तुझी को ये बुला रहें !
लगता है जैसे हम सनम ,
जनम जनम के बिछड़े हैं
आज जो हम तड़पे हैं ,
सच में हम तेरे लिए बहोत रोते हैं !
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