माँ बेटियाँ हैं लक्ष्मी का रूप ,
यूँ उनको बदनाम ना कर !
क्या तेरी क्या मेरी बहन ,
यूँ उनकी इज़्ज़त तार तार ना कर !
जिन्हें पूजते हैं देवी समान ,
ऊससे हीं तु बलात्कार न कर !
अपनी माँ के कोख को ,
यूँ तु आज बदनाम न कर !
कहे रहीं ये राखी ये माँग का सिंदूर ,
हैं तु इन्सान का बेटा यूँ तु हैवान ना बन !
अपनी हीं माँ बेटी को ,
यूँ भरे बाज़ार तु नीलाम न कर !
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