Friday, 8 January 2016

बेटियाँ

माँ बेटियाँ हैं लक्ष्मी का रूप ,

यूँ उनको बदनाम ना कर !

क्या तेरी क्या मेरी बहन ,

यूँ उनकी इज़्ज़त तार तार ना कर !

जिन्हें पूजते हैं देवी समान ,

ऊससे हीं तु बलात्कार न कर !

अपनी माँ के कोख को ,

यूँ तु आज बदनाम न कर !

कहे रहीं ये राखी ये माँग का सिंदूर ,

हैं तु इन्सान का बेटा यूँ तु हैवान ना बन !

अपनी हीं माँ बेटी को ,

यूँ भरे बाज़ार तु नीलाम न कर !

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