मंज़िल की हैं तलाश तो चलता चल !
हैं अभी दूर कारवाँ राही तू चलता चल !!
ठुकराना हैं आदत लोगों की तू संभलता चल !
आँसुओ को छुपाकर मुस्कान में मंज़िल की ओर बढ़ता चल !!
सुनकर ताने लोगों की तू निखरता चल !
बनकर दीपक तू अंधेरे को चिरता चल !!
बाटकर प्यार अपने घमंड को कुचलता चल !
लेकर आँसू तू हँसी देता चल !
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