तेरी आँखो पर एक ग़ज़ल कहेता हूँ !
सब को आए समझ , शायरी ऐसी सरल कहेता हूँ !!
न शराब न मयखना कहेता हूँ !
तेरी आँखो को नशे का सरताज कहेता हूँ !!
भेद सारे दिल के मैं रोज़ कहेता हूँ !
तेरी आँखो को मैं अपनी क़लम कहेता हूँ !!
भूल न पाओगी चंद कुछ ऐसे लफ़्ज़ कहेता हूँ !
तेरी आँखो को धरती का स्वर्ग कहेता हूँ !!
वो चाँदनी रात वो मस्तानी चाल कहेता हूँ !
तेरी आँखो को ख़ुशबू का बदन कहेता हूँ !!
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