कैसे कहूँ छुप छुप कर तेरा ही नाम लेता हूँ !
मैं जब भी होता हूँ तनहा तुझे ग़ज़ल बना लेता हूँ !!
बनाकर तुझे ग़ज़ल हर शब्दों में पिरो लेता हूँ !
मैं यूँही शब्दों में थोड़ा रो लेता हूँ !!
रो रो कर आँसुओ में तेरी तस्वीर बना लेता हूँ !
लगाकर गले उस तस्वीर को मैं भी थोड़ा जी लेता हूँ !!
जी कर तेरी यादों में ख़ुश हो लेता हूँ !
छुपाकर आँसुओं को ख़ुशी में मैं होंठों को सी लेता हूँ !!
No comments:
Post a Comment