मुझपर तोहमत लगा कर ,
ख़ुद नापाक बैठी हैं ,
जैसे कोई नागिन आज ,
फ़न निकाले बैठी हैं !
बेवफ़ाई का आज ये आलम हैं ,
वो हमको सब कुछ बनाए बैठी हैं !
ये जनम जनम का रिश्ता ,
हमको समझाए बैठी हैं !
ख़ुद मुझपर इल्ज़ाम लगाकर ,
वो नाराज़ बैठी हैं ,
किसे पता जाना ,
फिर कहा अपना मुलाक़ात हो !
इस जनम में ना मिली ,
अगले जनम की आस जगाए बैठी हैं !
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