तु साथ चल या ना चल ,
मैं तेरे साथ सदा चलूँगा !
बिखरे हुवे तेरे राहों में ,
काँटो को मैं सदा साफ़ करूँगा !
ये मत समझना के मैं तुझसे ,
मर कर भी जुदा रहूँगा !
जब भी मुश्किलों में पड़ोगी ,
मैं तेरे साथ सदा रहूँगा !
रातों को जो नींद लगी तो ,
बनकर सपना तेरे ख़्वाबों में आज़ाऊँगा !
सुबह की पहली किरण से ,
आकर तुझे जगाऊँगा !
जो राह चलते टपके पसीना ,
तो हवा का झोंका बन जाऊँगा !
जो लगी तुझे धूप तो ,
बन कर छांव मैं फिर आऊँगा !
दुनिया से लड़ने की फिर
तरकीब नई तुझे सिखलाऊँगा !
मैं मरकर भी सनम ,
तेरा सदा साथ निभाऊँगा !
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