भेद हुस्न का खुल जाएगा
भरम इश्क का टूट जाएगा
जब चलेगी जुल्म की हवा
हर पत्थर दिल पिघल जाएगा
हर सपना टूट जाएगा
हर अरमान धरा रहे जाएगा
इस वख्त की मार से
राजा भी रंक बन जाएगा
जो आया हैं वो जाएगा
जानेवाले को कोई रोक नही पाएगा
लाख कोशिश करले
पंछी पिंजरे से उड़ ही जाएगा
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