आज लूटी जो इज़्ज़त बहेनों कीं ,
तो कल राखी क़िस्से बँधाओ गे !
माँ कि ममता वो माँ की गोद ,
कल फिर तुम कहाँ पाओगे !
समय की इस धार में ,
तुम फँसते ही चले जाओगे !
आज खोया बहूँ बेटी तुमने ,
कल माँ को भी न ढूँढ पाओगे !
हैवानियत का खेल यें ,
कब तक खेल पाओगे !
नहीं रहेंगी माँ बेटी तो ,
फिर जन्म कहा से पाओगे !
इसीलिए कहेता हूँ भाई ,
अब भी रुक जाओं !
इस मिटती दुनियाँ को ,
तुम आज बचाओ !
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