अपनो की बातें बेकार दूसरों की बातें प्यारी हैं ,
अपनो की इस लड़ाई में सदा दूसरों ने बाज़ी मारा हैं ,
मंदिर मस्जिद को भूले सब मदिरालय सभी को प्यारा हैं ,
संस्कार की धज्जियाँ उड़ी जड़ से जुदा आज सारी शाखाएँ हैं !
लाचार बुज़ुर्ग घर में बैठे और हमें पड़ोसी प्यारा हैं ,
मुद्दल की तो बात छोड़ो यहाँ तो सब को सूत प्यारा हैं !
घर में बैठी भूखी माँ और हमें दोस्त प्यारा हैं ,
अपनी लगती बद सूरत सदा दूसरों की बीवी प्यारी हैं !
साड़ी ड्रेस अब भाता नहीं मिनीस्कर्ट सब को प्यारा हैं ,
प्यार की यहाँ परवाह हैं किसको अब तो जिस्म सभी को प्यारा हैं !
आज कृष्ण का रास नहीं सभी को राधा प्यारी हैं ,
घोर कलयुग आया भाई अब राधा भी लगती सबको सेक्सी हैं !
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