Monday, 15 February 2016

देख के इस मौसम की मदहोशी

देख इस मौसम की मदहोशी ,

मदहोश हुआ ये सारा आलम हैं !

मैं तन्हाई और साथ कोई नहीं ,

ऐसे में तु आजाए तो सँवर जाए ये ज़िंदगानी !

इस मौसम में खोकर आज ,

ये हुस्न और भी निखरा हैं !

मुझे देखने तु तो क्या ,

ये चाँद सितारे भी आज निकले हैं !

No comments:

Post a Comment