इस शहर में अब अपना कोई काम नहीं !
पत्थर हैं सब लोग कोई यहाँ इंसान नहीं ,
चेहरे पे चेहरा हैं किसी का दामन यहाँ पाक नहीं !
जिसको तुम पढ़ सको यहाँ वो चेहरा नहीं ,
सब हैं मतलब के कोई यहाँ तेरा यार नहीं !
तेरे प्यार का अब मुझे कोई जुनून नहीं ,
ये जो आँसू हैं दोस्त हैं कोई दुश्मन नहीं !
तेरे जुदाई का यूँ तो मुझे कोई ग़म नहीं ,
पर तुझे भी अब वफ़ा करने का कोई हक़ नहीं !
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