Friday, 5 February 2016

कभी किसी को प्यार तो कभी रोटी नहीं मिलता

कभी किसी को प्यार तो कभी रोटी नहीं मिलता ,
लग जाए प्यास तो उन्हें कभी पानी नहीं मिलता !
हम तो ख़ुश हैं अपनो में यारों ,
पर उनको कभी ख़ुशियों का पिटारा नहीं मिलता !

शिक्षा के इस दौर में उनको शिक्षा नहीं मिलता ,
सब पढ़ाते हैं पैसे को कोई ग़रीब नहीं पढ़ाता !
देख के शिक्षा के इस भेद भाव को ,
हमको डूब मरने के लिए चूल्लु भर पानी नहीं मिलता !

दाने दाने को मोहताज हैं फिर भी चेहरे पर सिकन नहीं मिलता ,
मर जाते हैं यूँही सड़कों पर कभी उनको कफ़न नहीं मिलता !
तलाशती हैं उनकी नज़र किसी अपने को ,
पर उनको कभी ख़ुशियों का संसार नहीं मिलता !

हम हैं के हमें उनके दर्द का कभी सुराख़ नहीं मिलता ,
बरसती हुई उन आँखो का कभी हमें हाल नहीं मिलता !
कर देते हैं हम यूँही ख़र्च व्यर्थ पैसे को ,
और वो हैं के उनको कभी खाने पीने का समान नहीं मिलता !

कभी बरसात में छत तो कभी तूफ़ानो में किनारा नहीं मिलता ,
फेंक देते हैं हम यूँही खाने को उनको कभी एक निवाला नहीं मिलता !
बड़े शर्म से झुक गया मेरा आज सर ,
हमने तो मौज में पी ली शराब उनको कभी पानी का एक बूँद नहीं मिलता !

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