Saturday, 27 February 2016

इस मौसम ने आज , फिर तेरी याद दिला दी हैं !

इस मौसम ने आज ,
फिर तेरी याद दिला दी हैं !
मुझको फिर तड़पाने ,
फिर तेरी याद चली आइ हैं !

जब याद आई तेरी तो ,
इन नयनो से बहे असू !
जितना रोका ख़ुद को मैं ,
उतनी ही तेरी याद आई !

दूर तलक न कोई राह है ,
और न कोई जीवन साथी !
साया भी अब साथ देता नही ,
वो भी है अब हरजाई !
 
न कोई अब राज दार है ,
न कोई अब जीवन साथी !
दूर तलक हैं अंधियारा ,
कोई राह नहीं आती !

तू जो रूठी तो सनम ,
रूठा मेरा खुदा है !
तूही मेरी धड़कन ,
तूही मेरी जीने की वजह हैं !

ए सनम तु छुपी हैं कहा ,
ढूँढू मै तुझको कहा कहा !
यू न रूठो हमसे जाना ,
बुला रहा तुझे मनमित तेरा !

No comments:

Post a Comment