इस मौसम ने आज ,
फिर तेरी याद दिला दी हैं !
मुझको फिर तड़पाने ,
फिर तेरी याद चली आइ हैं !
जब याद आई तेरी तो ,
इन नयनो से बहे असू !
जितना रोका ख़ुद को मैं ,
उतनी ही तेरी याद आई !
दूर तलक न कोई राह है ,
और न कोई जीवन साथी !
साया भी अब साथ देता नही ,
वो भी है अब हरजाई !
न कोई अब राज दार है ,
न कोई अब जीवन साथी !
दूर तलक हैं अंधियारा ,
कोई राह नहीं आती !
तू जो रूठी तो सनम ,
रूठा मेरा खुदा है !
तूही मेरी धड़कन ,
तूही मेरी जीने की वजह हैं !
ए सनम तु छुपी हैं कहा ,
ढूँढू मै तुझको कहा कहा !
यू न रूठो हमसे जाना ,
बुला रहा तुझे मनमित तेरा !
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