Monday, 22 February 2016

इस दुनिया में कहीं सच्चा दोस्त ना मिला , किसी के वफ़ा को यहाँ वफ़ा ना मिला !

इस दुनिया में कहीं सच्चा दोस्त ना मिला ,
किसी के वफ़ा को यहाँ वफ़ा ना मिला !
जहाँ रहा तनहा ही रहा ,
इस नाचीज़ को कभी अपनो का साथ ना मिला !

वो यार आज यार ना रहा ,
अब हमें किसी से प्यार ना रहा !
जहाँ भी गए धोखा ही मिला ,
अब हमें किसी पर ऐतबार ना रहा ,

हर गिरते को मैं सम्भालता रहा ,
मैं गिरा तो कोई हाँथ ना मिला !
मैं जिसे अपना समझता रहा ,
वही मुझे बुरा मिला !

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