यारों ने भी आज क्या ख़ूब नाम किया !
बिन क़सूर के यारों ने हमें बेवफ़ा नाम दिया ,
ख़ुद को बे दाग़ मुझको दाग़ दाग़ किया !
मैंने लाई सुबहों उन्होंने शाम दिया ,
बिन क़सूर के मुझे दूर ही से सलाम किया !
मेरी वफ़ा का क्या ख़ूब इनाम दिया !
किस पे करूँ भरोसा सब ही ने मुझे बदनाम किया !
दोस्ती करना हीं गर गुनाह हैं यारों ,
तो माना हा मैंने बुरा काम किया !
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