Sunday, 21 February 2016

अपनो ने हीं मेरे क़त्ल को अंजाम दिया , यारों ने भी आज क्या ख़ूब नाम किया !

अपनो ने हीं मेरे क़त्ल को अंजाम दिया ,
यारों ने भी आज क्या ख़ूब नाम किया !

बिन क़सूर के यारों ने हमें बेवफ़ा नाम दिया ,
ख़ुद को बे दाग़ मुझको दाग़ दाग़ किया !

मैंने लाई सुबहों उन्होंने शाम दिया ,
बिन क़सूर के मुझे दूर ही से सलाम किया !

मेरी वफ़ा का क्या ख़ूब इनाम दिया !
किस पे करूँ भरोसा सब ही ने मुझे बदनाम किया !

दोस्ती करना हीं गर गुनाह हैं यारों ,
तो माना हा मैंने बुरा काम किया !

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