सफ़र ये प्यार का कभी ख़त्म ना हों ,
आप जुदा हों यें हमसे कभी गुनाह ना हों !
तेरे सिवा ज़ुबा पर किसी और का नाम ना हों ,
मैं तुझको भूल जाऊँ ये हमसे कभी गुनाह ना हों !
बिन तेरे जीना पड़े ऐसा कोई पल ना हों ,
आपसे मैं दग़ा करूँ ये हमसे कभी गुनाह ना हों !
बिन तेरे मेरी सुबह की सुरूवात ना हों ,
आप का दीदार ना हों ये हमसे कभी गुनाह ना हों !
आँखे बंद करूँ और तेरा दीदार ना हों ,
खुदा करे ये हमसे कभी गुनाह ना हों !
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