अपने हर दर्द को छुपाकर मुस्कुराती हैं वो ,
अपनी आदत से बाज़ नहीं आती हैं वो !
पूछ लेती हैं हर राज मेरा मुझसे ,
अपनी हर बात छुपाती हैं वो !
अपनी हँसीं में तूफ़ानो को छुपाती हैं वो ,
न जाने कैसे मुझे किनारे लगाती हैं वो !
आप ख़ुद तो बड़ी चलाखा हैं मगर ,
क़िस्से सब को हमारी सुनाती हैं वो !
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