Sunday, 21 February 2016

नवाबों सा जो तेरा ख़्वाब हैं सनम , नसीबों से ज़्यादा न मिलेगा तुझे सनम !

नवाबों सा जो तेरा ख़्वाब हैं सनम ,
नसीबों से ज़्यादा न मिलेगा तुझे सनम !

गुलाबों की एक कली थीं कभी तु सनम ,
शराबों की प्याली बन गई अब तुम सनम !

डुबो रक्ख़ा हैं ख़ुद को शराबों में तूने जो सनम ,
हिज़ाबों में रहेना कब तूने सीखा सनम !

ख़्वाबों में ही मिलेंगे अब तुम्हें सनम ,
किताबों में हीं मिलेंगे अब तुम्हें सनम !

Writer :- ॐTiwari

No comments:

Post a Comment