ॐTiwari
Saturday, 20 February 2016
आज वहीं रक़ीब हैं जो कल हबीब थे
आज वहीं रक़ीब हैं जो कल हबीब थे ,
मुझे मिला वहीं जो अपने नशिब थे !
बनकर हबीब जो अब तक क़रीब थे ,
ठोकर लगी तो जाना वो एक फ़रेब थे !
जिसने तबाह किया ये वो सैलाब थे ,
हक़ीक़त नहीं वो एक ख़्वाब थे !
मैं था पानी वो एक शराब थे ,
अब जाना हमने के वो ख़राब थे !
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