चलो शिवः पूजा को श्रावण आया ,
मेरे भोले शंकर का श्रावण आया !
सागर मंथन में विष पान किया ,
सृष्टि के रक्षा में विष पान किया ,
उस विष ने भोले को मूर्छित किया ,
मूर्छित से जगाने तब देवता आये ,
उठो मेरे भोले नाथ श्रावण आया ,
जागो मेरे भोले नाथ श्रावण आया ,
चलो शिवः पूजा को.... !
मेरे शिव को पीपल के निचे लिटाया ,
पीपल के छाए में ठंडी हवा दिलवाया ,
इसलिए श्रावण में पीपल को पूजा ,
चलो हम भी लगाकर पीपल शिव को मनाए ,
चलो पीपल पूजे श्रावण आया ,
मेरे शिव शंकर का श्रावण आया ,
चलो शिवः पूजा को.... !
मिलकर सब देवताओं ने जल से नहलाया ,
नहलाकर मेरे भोले को मूर्छित से जगाया ,
इसलिए सावन में कांवड़ पुण्यदायक माना ,
चले हम भी लेकर कांवड़ शिवः को मनाए ,
चलो लेकर कांवड़ श्रावण आया ,
भोले को जल चढ़ाओ श्रावण आया ,
चलो शिवः पूजा को.... !
श्रावण में पर्वती ने शिव को मनया ,
तभी श्रावण में पार्वती को भी पूजा ,
इसलिए श्रावण में सुहागिनों का व्रत आया ,
चलो हम भी आज माँ को पूजे ,
मेरी मइया का श्रावण आया ,
चलो हम भी पूजे माँ को श्रावण आया ,
चलो शिवः पूजा को.... !
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