धुप में जमीन जल गई ,
इन खेतों की नमी चली गई !
नदी नाले भी हैं कहा !
किसानों की तक़दीर रूठ गई !
नही कोई इनका सहारा ,
जो बचे थे वो घर दार बिक गए !
खून बेचकर जो फसल लगाई ,
बाढ़ में सारे वो अरमान बहे गए !
जाए भी ये कहा जाए ,
मंदिरों से अब भगवान चले गए !
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