Tuesday, 22 September 2015

माँ की ममता

इस धरती पर जन्म मिला
तब माँ का गोद मिला
एक पावन रिश्ता
बड़ा ही अनमोल मिला
वो माँ का प्यार मिला
वो माँ का दुलार मिला
मेरी हर मार पर उनके
चेहरे पर मुस्कान मिला
नन्हा सा था मै पर
माँ का बड़ा ही दुलारा था
मेरे हर ग़लतियों पर
बस मेरी माँ ने मुझे सवारा था
कभी जो राह में डगमगाता
मेरी माँ को खड़ा साथ पाता
बन कर वो मेरी परछाईं
सदा ही उनको साथ पाता
कभी जो थक्कर मै
कही जो थोड़ा बैठ जाता
बन कर ठंडी छांव
उनके ही आँचल का साथ मिला
माँ के साये मे पल कर बड़ा हुवा
एक गोरी से मेरा ब्याह हुवा
उससे मुझको प्यार हुआ
पड़ कर उसके चक्कर में
न जाने कब माँ से मै दूर हुवा
माँ का प्यार तो वहीं हैं
बस अपना प्यार बदल गया
उम्र के इस पड़ाव पर
जब माँ को ज़रूरत थी मेरी
तब मैं उसको भूल गया
फँसकर एक गोरी के पीछे
सच में मैं अपने भगवान को भूल गया
पर फिर भी मैं माँ को सदा
अपने साथ पाता हू
वक़्त के साथ मैं अपना फ़र्ज़ भूल गया
पर माँ का प्यार आज भी वहीं हैं
मैं अब बहोत पछताता हू
उस माँ रूप देवी को
अब मैं सादा पूजता हू
उस खुदा को अब तक न देखा
पर सोच ता हू गर खुदा है इस धरती पर तो
यहीं अपने माँ बाप हैं
इसलिए कहेता हू
पत्थर को न पूज
पूजना ही है तो
अपने माँ बाप को पूज

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