शायरी नही तुम पूरी गजल हों ,
किचड़ में खिली एक कमल हों !
लफ्ज़ो पर बैठी हुवी नज्म हों ,
जिंदगी में प्यार की लहर हों !
कड़ी धुप में ठंडी छाव हों ,
तुम ही गजल में सावन की घटा है !
तेरी ही जुल्फों से होती हैं धुप छाव ,
इस संगीत की तुम ही सरगम हों !
झरने की कल कल आवाज हों ,
वो लहरो की सुरीली तान हों !
वो पत्तो की सर सराहट हो ,
तुम्ही मेरी गजल तुम्ही शायरी हों !
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