ये जग बड़ा निराला , सच्चे झूठे यहाँ सारे लोग , न कीजिए यूँ ही भरोसा , फरेब यहा दिन रात , हर मोड़ पर खड़ा , एक बहरूपिया , अपनों के बिच में , बैठा एक बहरूपिया , कब कौन कहासे , यहा तुझे डुबादे , हर कदम काँटे तेरे , बच कर चलना तू दोस्त !
No comments:
Post a Comment