रग रग में खून नही दौड़ता था तिरंगा
उन शुर वीरो की महान गाथा तिरंगा
न देखा आगे पीछे देखा बस तिरंगा
कूदे वो मैदा में बचाने बस तिरंगा
गोलियों से छन्नी था सीना पर देख तिरंगा
डटे रहे मैदा में पर मिटने न दिया तिरंगा
हर मुश्किलों से लड़कर बचाया तिरंगा
खुद मिट गए पर झुकने न दिया तिरंगा
कुछ अलग ही लोग थे वो जज्बा था उनका तिरंगा
वो तो जन्मे थे बनकर बस तिरंगा
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