शोर था जो वो कल चले थे शान से ,
झुकगए है आज वो शेर की दहाड़ से !
हसरतों के पुल बाँध के चले थे जो ,
मिट गए है आज वो शेर की दहाड़ से !
ख़्वाब जो आँखो में लेकर चले थे वो ,
ख्वाब सारे टूट गए शेर की दहाड़ से !
रूख जो हवा का मोड़ने चले थे वो ,
अरमान सारे बहे गए शेर की दहाड़ से !
इस देश को वो लूटने चले थे जो ,
ख़ुद ही वो लुट गए शेर की दहाड़ से !
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