अब कोई नही हमराही ,
मैं और बस मेरी परछाई !
दूर दूर तक यादों का सागर ,
और साथ बस परछाई !
कुछ दूर साथ वो चले तो थे ,
हाँथो में लेकर हाँथ बढ़े तो थे !
वख्त बदला तो वो भी बदली ,
साथ बची मेरे परछाई !
एक यादों का बादल हैं ,
उसमे भी तू हरजाई हैं !
और कोई नही साथ मेरे ,
साथ मेरे परछाई हैं !
जो कभी अपने थे ,
वही आज सपने है !
साथ और कोई नही ,
बस मैं और मेरी परछाई हैं !
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