कब से खड़ा मैं तेरी राहों में , तेरी एक झलक पाने को ! अब तो आजा सनम , हैं ये जिंदगानी बीत जाने को ! कब तक और सहु मैं , तुझसे बिछड़ने का गम ! लौट आ फिर इन्हीं राहों पर , कही बीत न जाए ये जीवन !
sitaram ki tarfh se pyar bhari sayri
sitaram ki tarfh se pyar bhari sayri
ReplyDeletesitaram ki tarfh se pyar bhari sayri
ReplyDelete