Sunday 9 August 2015

कुछ एेसा लिख जाऊँ

कुछ एेसा लिख जाऊँ ,
सारे जहाँ में मैं छा जाऊँ !
इन कवियों में हो नाम अपना ,
जब मैं ये जहाँ छोड़ जाऊँ !

माँ बाप का नाम ऊँचा कर जाऊँ ,
प्यार की बरसात सब पर बरसाऊँ !
एक ग़ज़ल हो माँ के नाम ,
जब मैं ये जहाँ छोड़ जाऊँ !

राम नाम मैं जपते जाऊँ ,
उन्ही के चरणों में मैं शीश झुकाऊँ !
हो जुबा पर राम का नाम ,
जब मैं ये जहाँ छोड़ जाऊँ !

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