Sunday 9 August 2015

एक नई राह बनाएँगे

एक नई राह बनाएँगे ,
सोते हुवे को हम जगाएँगे !
लोगों के दिल में घर बसाएँगे ,
एक नया जहाँ हम फिर बनाएँगे !

एक नई रोशनी लाएँगे ,
दिलो में थोड़ा प्यार हम जगाएँगे !
माँझी को साहिल तक पहुँचाएँगे  ,
सच्चाई का सैलाब हम फिर फैलाएँगे !

दुश्मनों को प्यार करना हम सिखाएँगे ,
अपनी ताक़त का लोहा फिर मनवाएँगे !
इस देश के ग़द्दारों को इस देश से प्यार करना ,
हम उन्हें उन्हें फिर सिखलाएँगे !

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