रिश्तों के बंधन में बंध जाओ ,
एक प्यारी सी मुस्कान लाओ !
लूट रही बहनों की इज्ज़त ,
तुम सब आज उसे बचाओ !
जो न आज बचाया इस रिश्ते को ,
तो कल तुम माँ भी कहा से पाओगे !
बेटी का ये रूप हैं सारा ,
फिर नई दुनिया कहा से बसओगे !
इस राम के नगरी में और कितना पाप फैलाओगे ,
न रहेगी बेटी तो वंश कहा से बढ़ाओगे !
अपनी इस करतूत पर कुछ तो ख़ौफ़ खाओ ,
इस मिटती दुनिया को तुम आज बचाओ !
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