Saturday 8 August 2015

मेरे बाद वो न जाने क्या खोजते हैं

मेरे बाद वो न जाने क्या खोजते हैं ,
मेरा निशा आवारा राहों पे ढूंढते हैं !

मेरी यादो में वो दिन रात रोते हैं ,
अपने लकीरों में वो हमको ढूंढते हैं !

न जाने वो हमपर इतना क्यूँ मरते हैं ,
हर पल हर जगह हमी को ढूंढते हैं !

मेरे दिदार को उनके नयन तरसते हैं
मेरे दिल में वो एक आशियाना ढूंढते हैं !

हर पल हर घड़ी वो हमपर मरते हैं ,
न जाने वो हमे कहा कहा ढूंढते हैं !

कभी आसमान तो कभी जमी पर ढूंढते हैं ,
मेरा साए में वो अपना निशा ढूंढते हैं !

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