Sunday 9 August 2015

कभी आसमान तो कभी जमी पर ढूंढती हैं

कभी आसमान तो कभी जमी पर ढूंढती हैं ,
अपने साए में वो मेरा निशा ढूंढती हैं !

मेरी यादो में वो दिन रात रोती हैं ,
तन्हाई में वो हमको ढूंढती हैं !

दर बदर आवारा सी राहों पे घूमती हैं ,
दिन रात उनकी आँखे हमे ढूंढती हैं !

मेरे दिदार को उनके नयन तरसते हैं ,
आँखों में संजोए आँशु वो हमे ढूंढती हैं !

हर चेहरे में वो ये चेहरा ढूंढती हैं ,
एक सपना हूँ और वो हकीकत में ढूंढती हैं !

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