Saturday 15 August 2015

इस धरती का वरदान हु मैं

सरहदों पर युहीं मिटते रहेंगें हम ,
इस धरती का सच्चा लाल हूँ मैं !

लाख कोशिशे करले दुश्मन हमे मिटाने की ,
उसकी औकात नही हमारे सामने सर उठाने की !

किस्मे है दम जो कदम बढ़ा दे इस धरती पर ,
इस तिरंगे की खातिर कितनी बार मर मिटा हु !

इंच भर भी इस धरती पर पैर न बढ़ाने देंगे ,
आँधी और तूफान में डाटा हु मैं !

एक गोली जो लगी थी सीने में अभी ,
दुश्मनो से कहेना अभी मरा नही हु मैं !

गोलियों से छल्ली था सीन मेरा ,
पर सरहद से इंच भर नही हटा हु मैं !

क्या मजाल हैं कोई नजर उठाकर देखले ,
आखरी सांस अभी बाकि है मरा नही हु मैं !

जय हिंद जय भारत का नारा यु ही गूंजता रहेगा ,
मैं फिर जनम लेकर आऊंगा इस धरती का  वरदान हु मैं !

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