सरहदों पर युहीं मिटते रहेंगें हम ,
इस धरती का सच्चा लाल हूँ मैं !
लाख कोशिशे करले दुश्मन हमे मिटाने की ,
उसकी औकात नही हमारे सामने सर उठाने की !
किस्मे है दम जो कदम बढ़ा दे इस धरती पर ,
इस तिरंगे की खातिर कितनी बार मर मिटा हु !
इंच भर भी इस धरती पर पैर न बढ़ाने देंगे ,
आँधी और तूफान में डाटा हु मैं !
एक गोली जो लगी थी सीने में अभी ,
दुश्मनो से कहेना अभी मरा नही हु मैं !
गोलियों से छल्ली था सीन मेरा ,
पर सरहद से इंच भर नही हटा हु मैं !
क्या मजाल हैं कोई नजर उठाकर देखले ,
आखरी सांस अभी बाकि है मरा नही हु मैं !
जय हिंद जय भारत का नारा यु ही गूंजता रहेगा ,
मैं फिर जनम लेकर आऊंगा इस धरती का वरदान हु मैं !
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