Wednesday 5 August 2015

फिर आज वही धुन याद आई

फिर आज वही धुन याद आई ,
भरी महफ़िल में फिर तेरी याद आई !
तरसते थे जिन लबो का जाम पिने को ,
आज उन लबो को खुद मेरी याद आई !

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