उफ़ ये हूस्न की ज़ालिम अदा , तन कर चलना चल कर मटकना , पलके गिराकर फिर उठाना , उठाकर किसी को फिर गिराना , जब भी देखूँ बस यही सोचूँ , अपनी से तो पराई अच्छी !
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